Tania Shukla

Add To collaction

सिंदबाद , मैजिकल लाइफ

जहाज के एक अंधेरे कोने पर एक बक्से पर सर पकड़ कर कोई साया बैठा दिखाई दे रहा था। सिंदबाद ने धीरे कदमों से उस साए के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा। सिंदबाद के ऐसे कंधे पर हाथ रखने की वजह से उस साए ने अपनी गर्दन उठाकर देखा।

 सिंदबाद उसे देख कर चौक गया था। उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि वह नाजिया को कभी इस हालत में देखेगा। नाजिया की आंखें आंसुओं से भरी हुई थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह बहुत ही ज्यादा रोई हो। सिंदबाद का दिल उसे इस हालत में देखकर तड़प उठा था। उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था।


 उसने नाजिया से पूछा,  "नाजिया..!! क्या बात है.. तुम ऐसे यहां क्यों बैठी हो और तुम्हारे इस तरह से रोने की क्या वजह है..??" 

 नाजिया ने जल्दी-जल्दी अपनी पलकों को झपकाया और अपने आंसुओं को जज़्ब कर लिया। नाजिया को रोता देखना  सिंदबाद के लिए बिल्कुल भी ना काबिले बर्दाश्त था। उसका दिल किया कर नाजिया के हर एक आपका आंसू को अपने दामन में समेट ले। जैसे ही सिंदबाद नाजिया की तरफ बढ़ा।  नाजिया ने को किसी ने आवाज दी।


 कोई आदमी उन्हीं की तरफ चला रहा था। उसने नाजिया से कहा, "नाजिया..!  सभी लोग तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं। सभी लोग तुमसे कुछ सवालात करना चाहते हैं।"

 नाजिया ने अपने आप को संभाला और उस आदमी से कहा, "तुम चलो.. मैं अभी आती हूं..!!"

 नाजिया का जवाब सुनकर वह आदमी वापस चला गया। 


थोड़ी ही देर में नाजिया वहां आ गई.. जहां सभी सौदागर इकठ्ठा थे। सभी लोग नाजिया का ही इंतजार कर रहे थे।  नाजिया को देखते ही उनके चेहरे पर सुकून के तासरात दिखाईपड़ रहे थे। 


 सभी लोगों ने नाजिया से एक साथ सवाल करना शुरू कर दिया। नाजिया ने सबको हाथ के इशारे से रोक दिया और संजीदगी से कहा, "आप सब लोग यही जानना चाहते थे ना कि हम ऐसे अचानक से उस टापू से रातों-रात क्यों निकले..?? वजह यह है कि उस टापू के सरदार को किसी औलिया ने कहा था कि जिस वक्त  पर हम लोग पहुंचे थे.. उस वक्त कोई जहाज वहां पहुंचेगा।  उन लोगों पर कोई आसमानी आफत आने वाली थी और उस वक्त पर पहुंचने वाले जहाज के लोगों की कुर्बानी करने से वापस वह आफत उन पर नाजिम नहीं होगी।  वह लोग हम सब को कुर्बान कर के अपने आप को बचा रहे थे।"


 सभी लोग एकदम से नाजिया की बात सुनकर हैरान रह गए थे। सभी की आंखों में बहुत से सवाल दिखाई दे रहे थे। नाजिया ने एक गहरी सांस ली और बोलना शुरू किया, "जब मैं पिछली बार इस टापू पर आई थी.. तब एक बुजुर्गवार की जान मैंने बचाई थी।  इसलिए वह बुजुर्ग मुझे अपनी बेटी मानने लगे थे और उनका बेटा मुझे बहन की तरह ही इज्जत और प्यार करने लगा था।  जब इस बार हम उस वक्त पर वहां पहुंचे.. तो मेरा वही मुंह बोला भाई मुझे मिला था बाजार में ..!! सिंदबाद ने हमें देखा था..!!"

 तब सिंदबाद को याद आया कि, "जिस वजह से वह परेशान था.. दरअसल वह वजह  तो परेशान होने की थी ही नहीं।  वह इंसान तो नाजिया का  मुंह बोला भाई था।" ये सब याद आते ही सिंदबाद के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान बिखर गई।


  इधर नाजिया ने आगे कहा, " उसी ने मुझे बताया कि तुम लोगों को फज्र की नमाज के बाद कुर्बान किया जाएगा।  इसीलिए हमें रातों-रात वहां से निकलना पड़ा।"

नाजिया से  यह सब सुनकर सभी को होने वाले का शुक्रिया अदा किया और सभी के सलामत रहने की दुआ मांगी। 

 जहाज अपनी ही रफ्तार से आगे बढ़ रहा था। कप्तान ने उस टापू के बारे में सबको बताया। 

 वह  टापू बहुत ही ज्यादा बड़ा नहीं था पर वहां के लोग काफी अमीर थे।  वे लोग मसालों का ही कारोबार करते थे और पूरी दुनिया में वहां के मसाले मशहूर थे। वहां बहुत ही उम्दा किस्म के मसाले पैदावार होती थी। 


 जब जहाज के कप्तान ने  उस टापू के बारे में सबको बताया तो सभी सौदागरों ने मिलकर उस टापू पर जाने की पेशकश की।

 सभी के कहने पर कप्तान ने जहाज उस टापू की तरफ मोड़ दिया। उस टापू का नाम जोहर था और उसे ज़ोरमसाला के नाम से भी लोग जानते थे। सभी सौदागरों के कहने पर जल्दी ही जहाज जोहर  टापू के पास पहुंच गया। सभी लोग जल्दी जल्दी अपना अपना सामान जो उन्हें बेचना था.. उतारने लगे!!  


सौदागरों की ख्वाहिश थी कि एक ही दिन में वह अपना जितना ज्यादा हो सके.. उतना ज्यादा माल बेच दे। ताकि माल बेच कर आगे के सफर पर चल पड़े.. जिससे उन्हें आगे और ज्यादा वक्त ना लगे। उन्हें अपने परिवार से मिलने की भी जल्दी थी।

 अभी तक तकरीबन दो महीने उन्हें उस जहाज पर सफर करते हो गए थे और तकरीबन छह महीने और उस सफ़र पर लगने वाले थे। सभी कारोबारी अब तक के मुनाफे से खुश थे। आगे भी इसी खुशी को बरकरार रखने के लिए एक ही दिन में अपने सारे माल की फरोख्त करके उन्होंने उस टापू के मशहूर मसाले भी खरीद लिए…   जो वह आगे बेचकर अपने मुनाफे को दो गुना.. चार गुना करना चाहते थे।


 एक दिन रुक कर सभी लोग उस जोहर टापू से रवाना हो गए। उस एक ही दिन में जहाज के कारिंदों ने उन लोगों के लिए रहने खाने का इंतजाम.. टापू पर से सब के लिए साफ पानी, खाने का सामान, फल, फूल और भी ना जाने क्या-क्या इकट्ठा लिया था। क्योंकि आगे कितनी दूरी तक उन्हें बिना रूके सफर करना हो.. यह तो दरिया और मौसम पर ही निर्भर करता था। जल्दी ही वो लोग अपना सारा काम खत्म करके आगे के लिए निकल पड़े। 

जब वह लोग अपना काम खत्म करके आगे के लिए रवानगी ले चुके थे। सभी अपना अपना मुनाफा जोड़ रहे थे.. जो उन्हें उस टापू जिसे जोहर कहा जाता था.. से भी अच्छा मुनाफा मिला था.. और आगे के लिए उम्दा किस्म के मसाले भी फरोख्त करने के लिए उन्होंने खरीदे थे।


 कई दिनों के दरियाई सफर के बाद वह सभी लोग भी अब जहाज पर बैठे-बैठे ऊबने लगे थे। कप्तान के पास के नक्शे के हिसाब से.. अभी कम से कम और दस दिन के सफर के बाद ही कोई टापू रुकने के लिए मिल सकता था। 

 सभी सौदागरों को उसी जहाज पर पंद्रह दिन बीत गए थे।  यह फासला कब तक सफर किए फासलों में सबसे ज्यादा था। इसीलिए सौदागर थोड़ा ऊबने लगे थे। तकरीबन एक और दिन के सफर के बाद उन लोगों को एक हरा भरा टापू दिखाई दिया।

 कप्तान ने सभी सौदागरों को उस टापू के बारे में बताया.. तो सभी बहुत ही ज्यादा खुश हो गए थे। कप्तान ने भी  खुश होकर सभी सौदागरों से कहा, "यहां इस जहाज पर रुके हुए सारे सौदागर भाइयों..!! हमें सामने एक हरा भरा टापू दिख रहा है। सभी लोग चाहो तो एक दिन के लिए उस टापू पर घूम कर.. अपनी बोरियत को कम कर सकते हैं। अगर आप सभी लोग  चाहेंगे तो ही जहाज यहां रुकेगा। नहीं तो हम चलते हुए आगे का सफर पूरा करेंगे।"


 सभी सौदागरों ने एक ही साथ कहा, "नहीं.. नहीं... हम लोग जब एक ऐसे टापू की तलाश कर पाए हैं.. जहां हम कुछ वक्त के लिए दिलजोई कर सकते हैं.. तो कप्तान साहब हमें एक दिन यहीं रुक जाना चाहिए।  जल्दी ही हम लोग यहां से रवानगी ले लेंगे।"

  सभी की यही ख्वाहिश जानकर कप्तान ने जहाज के पाल खोलने का हुक्म दे दिया। जल्दी ही जहाज के पाल खुल गए और लंगर डालकर जहाज को वही रोक दिया गया।  सभी सौदागर छोटी-छोटी नावों में बैठकर उस टापू के नजदीक चले गए। वो लोग अपने साथ में ही खाना बनाने खाने का सामान भी लेकर गए थे।


   24
7 Comments

Anjali korde

10-Aug-2023 11:14 AM

Awesome part

Reply

RISHITA

06-Aug-2023 10:00 AM

Nice part

Reply

Babita patel

04-Aug-2023 05:59 PM

Nice and good

Reply